बायोफ्यूल सर्कल ग्रामीण बुनियादी ढांचे को देगा बढ़ावा; 70,000 किसानों को जोड़कर भारत के बायोएनर्जी परिदृश्य को बदलेगा

आगरा — बायोफ्यूल सर्कल, जो बायोएनर्जी सप्लाई चेन के लिए एक प्रमुख डिजिटल प्लेटफार्म है, ग्रामीण भारत में स्थायी बायोमास संग्रहण बुनियादी ढांचा बनाने के लिए अपने विस्तार की योजना बना रहा है। कंपनी अपने ग्रामीण गोदामों की संख्या 15 से बढ़ाकर 35 करने की योजना बना रही है, जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख कृषि राज्यों को शामिल किया गया है। कंपनी का मोबाइल प्लेटफार्म जीपीएस और टेलीमैटिक्स आधारित ऐप्स का उपयोग करके ग्रामीण बायोमास व्यवसायों को बढ़ावा देगा। यह विस्तार बायोमास संग्रहण को सुगम बनाने और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 75 करोड़ रुपये का निवेश अपेक्षित है। बायोफ्यूल सर्कल ने सफलतापूर्वक एक इक्विटी राउंड पूरा किया, जिसमें ₹45 करोड़ जुटाए गए, जिसका नेतृत्व स्पेक्ट्रम इंपैक्ट ने किया और शेष निवेश के लिए जियो फाइनेंस के साथ एक टर्म लोन समझौता किया है।
बायोफ्यूल सर्कल के सह-संस्थापक और सीईओ सुहास बक्शी ने कहा, “हम आर्थिक वर्ष 2024-25 के अंत तक 70,000 से अधिक किसानों को जोड़ने और 250,000 मीट्रिक टन से अधिक बायोमास का संग्रह करने का लक्ष्य रखते हैं। हमारा प्लेटफार्म किसानों को आधुनिक बुनियादी ढांचे तक पहुंच प्रदान करता है, कृषि अपशिष्ट को एक मूल्यवान संसाधन में बदलता है और सर्कुलर इकॉनामी में योगदान देता है।”
कंपनी का मॉडल ग्रामीण उद्यमिता का समर्थन करता है, जिसमें 1,000 से अधिक ट्रैक्टर चलाने वाले ग्रामीण भागीदार शामिल हैं। बायोमास संग्रहण का अनुमान आर्थिक वर्ष 2023-24 में 232,000 एमटी से बढ़कर आर्थिक वर्ष 2024-25 में 800,000 एमटी से अधिक होने का है। बायोफ्यूल सर्कल मार्च 2025 तक 10 राज्यों में संचालन करने की योजना बना रहा है।

यह पहल भारत में धान के अवशेष जलाने की समस्या का समाधान करती है और बायोफ्यूल सर्कल के ‘पराली से उज्जवल भविष्य’ कार्यक्रम का अनुसरण करती है, जो बाराबंकी, उत्तर प्रदेश में चल रहा है। इस कार्यक्रम ने अवशेषों को इकट्ठा और संसाधित करने के लिए 40 से अधिक उन्नत, डिजिटल रूप से एकीकृत मशीनें स्थापित की हैं, जिससे लगभग 30,000 मीट्रिक टन कृषि अवशेष जलने से रोका गया है, जो 25,000 एकड़ में फैला हुआ है। विशेष बात यह है कि रामनगर बायोमास बैंक™ का लाभ 30 गांवों के 5,000 से अधिक किसानों को मिलेगा।
बक्शी ने कहा, “हम एक सहभागी पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं जहां ग्रामीण समुदाय अपनी आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ा सकते हैं। बायोमास के लिए किसानों को बाजार तक आसान पहुंच प्रदान करके, हम उन्हें अपशिष्ट को धन में बदलने में मदद कर रहे हैं, जबकि एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती का समाधान भी हम इस माध्यम से कर रहे हैं।”
बायोफ्यूल सर्कल का डिजिटल प्लेटफार्म किसानों को किण्वित (फर्मेटेड) जैविक खाद भी प्रदान करता है, जो स्थायी कृषि प्रथाओं का समर्थन करता है और कंपनी को भारत में स्वच्छ ऊर्जा समाधानों की ओर संक्रमण में एक लीडर के रूप में स्थापित करता है।

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