स्टैंडर्ड कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड ने एनसीडी का आवंटन कर 70 करोड़ रुपये जुटाए

नई दिल्ली – स्टैंडर्ड कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड (बीएसई: 511700), एक अग्रणी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी), ने आज घोषणा की कि उसके बोर्ड ने 7000 अनरेटेड, अनलिस्टेड, सुरक्षित एनसीडी (नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स) का आवंटन मंजूर कर दिया है। प्रत्येक एनसीडी का अंकित मूल्य 1,00,000 रुपये है, जिसके माध्यम से कुल 70 करोड़ रुपये की राशि एक निजी प्लेसमेंट के आधार पर जुटाई गई है।
हाल ही में, कंपनी के बोर्ड ने 50,000 सुरक्षित, अनलिस्टेड, अनरेटेड, रिडीमेबल एनसीडी जारी करने की मंजूरी भी दी है, जिनका कुल मूल्य 500 करोड़ रुपये तक होगा। इन एनसीडी को एक या अधिक चरणों में निजी प्लेसमेंट आधार पर जारी किया जाएगा। यह कदम कंपनी की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और पूंजी आधार में वृद्धि करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

हाल ही में स्टैंडर्ड कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड ने स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल हासिल करने के लिए एक ज़ीरो-कॉस्ट ईएमआई स्कीम की घोषणा की है। यह इनिशिएटिव टीचिंग के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है, जो छात्रों और शिक्षकों को एक समृद्ध, टेक-ड्रिवन लर्निंग का अनुभव देगी। आईएफपी की शुरूआत से न केवल क्लासरूम्स का आधुनिकीकरण होगा, बल्कि स्कूलों को चॉक और मार्कर जैसी उपभोग्य सामग्रियों की लागत में महत्वपूर्ण बचत करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा, पारंपरिक चॉकबोर्ड से दूर जाने से चॉक की धूल से होने वाली साँस लेने वाली समस्याओं को कम करने में भी मदद मिलेगी, जिससे छात्रों और शिक्षकों के लिए एक स्वस्थ वातावरण तैयार होगा।ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 6 प्रतिशत बच्चे अस्थमा से पीड़ित हैं, यानी लगभग 30 मिलियन बच्चे। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि स्कूलों में चाक डस्ट जैसे इनडोर पॉल्यूटेन्ट सहित पुअर एयर क्वॉलिटी के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

इंटरनेट की बढ़ती पहुंच और डिजिटल इंडिया जैसे गवर्नमेंट इनिशिएटिव के कारण हाल के वर्षों में भारत में डिजिटल शिक्षा में तेजी से वृद्धि देखी गई है। इंडस्ट्री रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय एडुटेक मार्केट 2025 तक 10.4 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 39.77 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है। 1.5 मिलियन से अधिक स्कूलों और 260 मिलियन से अधिक छात्रों के साथ, डिजिटल लर्निंग सॉल्यूशंस की संभावना बहुत ज़्यादा है।

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