सोनी लिव के ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ की कहानी में प्रामाणिकता लाने के लिये अंतर्राष्‍ट्रीय कलाकारों को भी शामिल किया गया

फ्रीडम एट मिडनाइट’ में दर्शकों को भारत के सबसे महत्‍वपूर्ण दौर में से एक का दिलचस्‍प नजारा देखने को मिलेगा। वह दौर आजादी की लड़ाई और उसके बाद हुए विभाजन का था। स्‍वाधीनता के आह्वान से लेकर 1947 में मिली आजादी तक, यह सीरीज गांधी, नेहरू और पटेल जैसे दिग्‍गजों की प्रेरणा, संघर्ष और त्‍याग दिखाती है।ऐसे में ऐतिहासिक दिग्‍गजों के साथ-साथ ल्‍यूक मैकगिबनी, एंड्रयू कुलम, रिचर्ड टेवर्सन, एलिस्‍टेयर फिनले और कॉर्डेलिया बगेजा जैसी अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिभायें भी शो से जुड़ेंगी। मैकगिबनी और बगेजा भारत के अंतिम वायसराय और वायसरीन क्रमश: लॉर्ड लुईस माउंटबेटन और लेडी एडविना माउंटबेटन की भूमिका में होंगे। माउंटबेटन से पहले भारत के कमांडर-इन-चीफ और वायसराय आर्चिबाल्‍ड वैवेल की भूमिका फिनले निभाएंगे। कुलम 1945 से 1951 तक यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री रहे क्‍लेमेंट एटली का किरदार अदा करेंगे, जबकि टेवर्सन भारत में बाउंड्री कमीशन फॉर पार्टिशन के चेयरमैन सिरील रेडक्लिफ की भूमिका में होंगे। सावधानी के किये गये शोध और शानदार कलाकारों के साथ सोनी लिव भारत के गौरवशाली इतिहास और आजादी के संघर्ष को सिनेमा के माध्‍यम से श्रद्धांजलि देना चाहता है।
‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ को डोमिनिक लैपीरे और लैरी कॉलिन्‍स की मशहूर किताब से अडाप्‍ट किया गया है। इसे एम्‍मे एंटरटेनमेंट (मोनीषा आडवाणी और मधु भोजवानी) ने स्‍टूडियोनेक्‍स्‍ट और सोनी लिव के साथ मिलकर बनाया है। निखिल आडवाणी इसके शोरनर और डायरेक्‍टर हैं। इसकी कहानी अभिनंदन गुप्‍ता, अद्वितीय कारेंग दास, गुणदीप कौर, दिव्‍य निधि शर्मा, रेवंता साराभाई और एथन टेलर ने लिखी है।सोनी लिव और स्‍टूडियोनेक्‍स्‍ट के बिजनेस हेड दानिश खान ने कहा, ‘‘सोनी लिव में हम ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ की पेशकश करते हुए बहुत खुश हैं। यह अपने ही नाम की साहित्यिक कृति पर आधारित है। यह सीरीज भारत की आजादी के इतिहास की बेमिसाल कहानी को गहराई और प्रामाणिकता के साथ बयां करेगी। निखिल आडवाणी के नेतृत्‍व और उनकी बेहद कुशल टीम के साथ किताब में लिखी बातों को पर्दे पर उकेरना असाधारण होगा। सोनी लिव, स्‍टूडियोनेक्‍स्‍ट और एम्‍मे में हमारा मानना है कि यह कहानी बहुत प्रासंगिक है और दुनियाभर में हमारे दर्शकों को अच्‍छी तरह समझ आएगी। दर्शकों को पता चलेगा कि विभाजन का घटनाक्रम क्‍या था और आखिरकार भारत को कैसे आजादी मिली।’’कलाकारों के चयन के बारे में निर्देशक निखिल आडवाणी ने कहा, ‘‘जब हमने ‘रॉकेट बॉयज़’ बनाई थी, तब हमें यूके/यूएसए के अंतर्राष्‍ट्रीय कलाकारों को न ले पाने का बड़ा खेद रहा। कोविड और लॉकडाउन के कारण हम ऐसा नहीं कर सके। जब हमने ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ के लिये कलाकार चुनना शुरू किया, तब सोनी लिव और हम इसे ठीक करना चाहते थे। लॉर्ड लुईस माउंटबेटन और उनकी पत्‍नी लेडी एडविना माउंटबेटन की भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन का परिणाम तय करने में महत्‍वपूर्ण भूमिकाएं रहीं। उनके अलावा एटली, वैवेल और रेडक्लिफ भी थे ही। उन्‍हीं लोगों ने आधुनिक भारत का विमर्श बदला। हम कुछ बुनियादी पलों के मशहूर फुटेज और तस्‍वीरें इस्‍तेमाल करना चाहते थे। इसलिये हमें ऐसे कलाकार चाहिये थे, जो न सिर्फ शारीरिक रूप से उन ऐतिहासिक दिग्‍गजों जैसे लगें, बल्कि हमारे द्वारा चुने गये बेहतरीन भारतीय कलाकारों को चुनौती भी दें।’’लॉर्ड लुईस माउंटबेटन की भूमिका निभाने के बारे में ल्‍युक मैकगिबनी ने बताया, ‘’मैंने माउंटबेटन की भूमिका में भारतीय इतिहास की एक महत्‍वपूर्ण हस्‍ती को अपनाया है। सत्‍ता के हस्‍तांतरण और विभाजन में माउंटबेटन की भूमिका महत्‍वपूर्ण और विवादास्‍पद रही है। ऐसे किरदार की पेचीदगी में जाना एक आकर्षक चुनौती थी, जिसका मायने रखने वाले वक्‍त में बड़ा असर रहा। भारत के अंतिम वायसराय से लेकर विभाजन के खौफनाक नतीजे तक, ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ हमें उन रिश्‍तों और फैसलों का नजारा दिखाती है, जिन्‍होंने देशों के फैसलों को बदल दिया।‘’

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