वाराणसी,भारत माता के लिए निश्चित किए गए आदर्श को व्यवहारिक धरातल पर मूर्त रूप देने के लिए भारत माता मिशन के साधकों ने एक व्यापक कार्य योजना को अपने हाथ में लिया है। हम सिद्धांत और व्यवहार की एकरूपता के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
भारत माता के विराट, चिन्मय स्वरूप को प्रकट करने के लिए और भारत माता को विश्व के श्रेष्ठतम राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से भारत माता मिशन के साधक निरंतर कार्य कर रहे हैं। भारत माता मिशन ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में निश्चित उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपने- अलग प्रकोष्ठों माध्यम से कार्य प्रारंभ किया है। हम जिन क्षेत्रों में प्रमुख रूप से कार्य करते हैं उनमें भारत की कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और आध्यात्मिकता आदि हैं भारत की राजव्यवस्था लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्थास है इसमें विधि का शासन है ना की किसी व्यक्ति अथवा एक संस्था का,भारत की सर्वोच्च विधि है भारत का संविधान जो एक विस्तृत और जीवंत दस्तावेज है इस संविधान के अनुसार विधि बनाने का अधिकार राज्य सत्ता के हाथ में है राज्यसत्ता के लोक से संबंध इन्हीं विधियों के आधार पर तय किए जाते हैं अतः हमें राजसत्ता द्वारा निर्मित विधियों पर सूक्ष्म दृष्टि रखनी चाहिए. भारत माता मिशन का विधि प्रकोष्ठ इस उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करता है
आजादी के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था में तमाम परिवर्तन आये भारत आज मिश्रित अर्थव्यवस्था से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ा चुका है वर्ष 1992-93 में भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की अर्थव्यवस्था से जोड़ दी गई है भारत की आर्थिक नीतियों का और वैश्विक आर्थिक नीतियों में परिवर्तन का भारत के जनजीवन पर व्यापक असर पड़ता है हम निजी प्रगति और सामूहिक उन्नति के लक्ष्य को एक साथ रखने में असफल हो रहे हैं हम आर्थिक व्यक्तिवाद के खतरे से लोकमानस सचेत करते हैं और वैकल्पिक आर्थिक प्रयोगों को बढ़ावा देते हैं भारत की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह मौलिकता के विकास की और अवरोधक है. भारत की वर्तमान शिक्षा पद्धति ने भारत की श्रेष्ठ प्रतिभाओं को भी आजीविका कमाने तक ही सीमित कर दिया है मुक्त और राष्ट्रवादी चिंतन के लिए एक उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता, अब अनिवार्यता हो गई है।
भारत की जनसंख्या दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या बनने की तरफ अग्रसर हैं।इतनी बड़ी जनसंख्या का पोषण कृषि व्यवस्था को सुधारे बिना नहीं की जा सकती भारत की कृषि की वर्तमान पद्धतीने भारत की मिट्टी को अनुपजाऊ बना दे रही है हमें धारणीय और पोषणीय कृषि की ओर बढ़ना होगा।
भारत की एक बड़ी आबादी जीवन शैली जनित बीमारियों की चपेट में आती जा रही है. हमारी स्वास्थ्य सेवाओं का प्रयास बीमारी से बचाने का है जबकि हमें स्वस्थ भारत का निर्माण करना है इसके लिए हमें अपनी प्राचीन भेष पद्धतियों के साथ ही आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को समाहित करते हुए एक कुशल स्वास्थ्य व्यवस्था की तरफ ध्यान देना होगा भारत की एक बड़ी आबादी जीवन शैली जनित बीमारियों की चपेट में आती जा रही है हमारी स्वास्थ्य सेवाओं का प्रयास बीमारी से बचाने का है जबकि हमें स्वस्थ भारत का निर्माण करना है इसके लिए हमें अपनी प्राचीन भेष पद्धतियों के साथ ही आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को समाहित करते हुए एक कुशल स्वास्थ्य व्यवस्था की तरफ ध्यान देना होगा।
भारत का प्राण रही है भारत की आध्यात्मिकता.संपूर्ण विश्व भारत की आध्यात्मिकता के समक्ष नतमस्तक रहा है हम किसी भी समस्या का समाधान तब तक नहीं तलाश सकते, उसका निदान नहीं कर सकते जब तक हमारी चिंतन प्रक्रिया और जीवन पद्धति आध्यात्मिक नहीं होती अतः हमें भारत के जीवन मे आध्यात्मिक मूल्यों को प्रतिष्ठित करना है।
यह सारी जानकारी पत्रकार वार्ता के दौरान पराड़कर स्मृति भवन में स्वामी चैतन्य महाराज पीठाधीश्वर एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत मिश्र ने संयुक्त रूप से दी।